लेखनी - छूटे हाथ, छूट गया साथ।।
छूटे हाथ, छूटा साथ!!
वक्त के तेज बहाव में, जब छूटे हाथ हमारे,
कलकल बहती नदिया के, जैसे बन गए हों हम किनारे,
चलेंगे, बहेंगे दूर तक हम,
पर कभी मिल ना सकेंगे हम बेचारे,
दिल, दिमाग को अभी भी है इंतजार तुम्हारा,
हर आहट पर बैचेन हो जाता है ये,
जैसे मिलेगा इसे,
तुमसे मिलने का कोई ना कोई इशारा,
पर अब, जब साथ छूट गया है,
मिलने का मौका, जाने कहीं खो सा गया है,
जैसे सुबह का निकलता हुआ सूरज,
अब अस्त होने चला है,
प्रियंका वर्मा
30/6/22
Punam verma
01-Jul-2022 06:42 PM
Very nice
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Priyanka Verma
01-Jul-2022 10:38 AM
Thank you so much 🙏💐, everyone,
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Seema Priyadarshini sahay
01-Jul-2022 09:26 AM
बेहतरीन
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